क्या नेहरू गलत थे ?
अक्सर हैरान हो जाता हूँ ये सोच कर की एक बनी बनाई आर्थिक स्थिति पा लेने के बाद उसकी कमियों का बखान करना ऐसा हम तब कर सकते हैं क्यूंकि हमारा उस आर्थिक स्थिति को बनाने में कोई योगदान नहीं होता
आज सबको भारत की समाजवादी अर्थव्यवस्था के बारे कटाक्ष करते देख आश्चर्य होता है क्यूंकि बिना सत्य को जाने हम अपने पूर्वजों को गलत करार देते हैं फिर ताल ठोक कर कहते हैं की हम शिक्षित हैं
हम में आज भी प्रजा अथवा गुलाम होने का भाव समाप्त नहीं हुआ है
हम आज भी नागरिक नहीं बने है जो की देश की सत्ता को सही हाथों में दे सके ऐसी मानसिकता नहीं बन पाई है
आज जिस मजबूत आर्थिक आधार पर खड़े हो कर हम जिनको कोसते है उन्हें ये जान लेना चाहिए की देश जब आज़ाद हुआ था उस समय ब्रिटिश सम्राज्य दुसरे विश्वयुद्ध से बिखरी हुए अर्थव्यवस्था थी जिसके दुष्प्रभाव भारत का विभाजन था भारत की सरकार को कई सामाजिक व् आर्थिक समस्याओं के आलावा बड़े पैमाने पर रिफुजी कैम्पों,गरीबी, अनपढ़ता,स्वास्थ आदि समस्याओं का सामना करना पड़ा
इन्हीं समस्याओं को दिमाग में रख कर तत्कालीन प्रधानमन्त्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने समाजवादी अर्थव्यवस्था का चुनाव किया
जिसने देश के लिए आवश्यक आधारभूत ढांचे को खड़ा करने के लिए पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग को जन्म दिया जिसमें भारी पूँजी निवेश की आवश्यकता थी जैसे की यातायात , सड़क, खनन,स्टील,हैवी इलेक्टीरिक्ल जैसे आधारभूत उद्द्योगों की स्थापना थी और कोई भी प्राइवेट सेक्टर के लोग इस में पैसा लगाने के लिए तैयार नहीं थे कियुँकि पूँजी निवेश ज्यादा था और वापिसी की उम्मीद देरी से थी.
इन परिस्थितियों में तत्कालीन का कदम एक दम सही था
Today, we find many successful people criticizing the protectionist policies adopted by the political leaders for many decades since independence. But, they forget the notion that like any child needing hand holding during infancy, the new India full of poor, penniless people, most needed such hand holding till they could start walking
इस लिए किसी भी विचार को बनाने से पहले तथ्यों के आधार पर मंथन करना शिक्षित व्यक्ति का कार्य है
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