गुरुवार, 26 मार्च 2020

आस्तित्व के लिए जूझती मानवता

आस्तित्व  के लिए जूझती मानवता

बेशक मानव प्रकृति की सबसे अच्छी कृति है पर आज एक छोटी  सी  प्रकृति  की कृति की मार से अपने अस्तित्व को बचाने  में जुटी है 

इतिहास में सब कुछ दर्ज है 

5000 वर्ष पूर्व मानव जाति  ने एक विश्व युद्ध झेला था जिसके बाद आने वाली पीढ़ियों के लिए महामानव योगेश्वर श्रीकृष्ण ने युद्ध क्षेत्र में गीता का ज्ञान अर्जुन रूपी सशक्त योद्धा को देते हुए आने वाले समय का निर्णय सुना दिया था कि  मानव जाति प्रकृति का सर्वश्रेष्ठ स्वरुप है और अगर मनुष्य मानव मूल्यों का अनुसरण नहीं करेगा तो उसे हर दिन कुरुक्षेत्र का सामना करना पड़ेगा 

आज कोरोना विषाणु मानव जाति की भूल का ही नतीजा है 


गीता सम्पूर्ण मानव जाति को जीने का दिशा निर्देश देती है 

शायद ये महामारी हमें वास्तव  में मनुष्य की  प्रकृति में अपनी भूमिका को समझ कर भविष्य का निर्णय कर सके 
विचार करें आज मनुष्य अपने बनाय माया भवनों में बैठे मौत से सहमें हैं और उसके विपरीत सभी अन्य जीव प्रकृति की गोद  में स्वतंत्र घूम रहें है

 जब जब  भी मनुष्य प्रकृति के नियम का उल्लंघन करेगा  तब तब प्रकृति अपने भीतर हलके से परिवर्तन से अपनी शक्ति का एहसास करवाएगी 

अपने होने का कारण  जाने ? आप हैं कौन ? आपकी आवश्यकता क्या है ? 

अपने को पृथ्वी पर लकीरें खीच  कर न बाँटें अंततः आप सब हो तो मनुष्य ही फिर चाहे रेखा के उस पार हो अथवा इस पार  
याद रखें प्रकृति का नियम रेखा के उस  पार भी वैसा ही है जैसा की इस पार 


शनिवार, 22 फ़रवरी 2020

गौ सेवा एक यक्ष प्रश्न ?





गौ माता 

एक कड़वा सच 
गौ जिसे भारतीय संस्कृति में माँ का दर्जा प्राप्त है उस माँ के जीवन के अंतिम क्षणों का सत्य गौशाला से निकलकर सड़कों में भटकना है। ये आज के तथाकथित सभ्य तथा विकसित समाज की संवेदनहीन  मानसिकता को दर्शाता  है। आज की भाग दौड़ और वर्चस्व के लिए  समाज की दौड़  समाज  संवेदनहीनता तथा  संस्कारविहीनता को   बढ़ा रही  है 
गौ का तो एकउदाहरण है वास्तव में मानव समाज की अवसरवादी सोच से  केवल उस वस्तु का सम्मान करना सीख लिया है जिससे उसे व्यक्तिगत लाभ मिल सके अगर लाभ व्यक्तिगत नहीं है तो मानव उसे त्याग देने में जरा भी नहीं हिचकिचाता फिर चाहे गौ हो अथवा वृद्ध माँ बाप जिनकी उपयोगिता उन्हें महसूस नहीं होती 
गौ भारतीय संस्कृति के अनुसार मनुष्य के जन्म से लेकर मृत्यु तक तथा मृत्युपर्यन्त भी महत्त्व रखती है 

अगर आप स्वयं को हिन्दू धर्म के अनुपालक मानते  है 
और 
अगर नहीं तो गौ को माँ का दर्जा देना बंद करें