शुक्रवार, 22 फ़रवरी 2019

Difference



गांधीवाद और आज 

परम आदरणीय, युग पुरुष, राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी जी की विचारधारा   

भारत वर्ष की आज़ादी और देश के निर्माण के लिए, हर उस व्यक्ति के लिए जो उस समय और कल खंड को जी रहा था 
अथवा  
किसी भी देश की गुलामी  से बाहर  निकलने की इच्छा शक्ति को मजबूत बनाने के लिए विचारधारा सही है 

ये विचारधारा भारत के सांस्कृतिक और वैचारिक व्यवस्था को बनाने के लिए ठीक है जिसमें सभी लोग जो इस भूभाग में रह रहें हों वो सौहार्दपूर्ण रह सकें  फिर वो चाहे किसी भी जाती अथवा धर्म के हों 
सबको समानता हो और उन्नति के समान अवसर हों 

परन्तु 

शेष विश्व में जो लोग और विचारधाराएं हैं जो की विस्तारवादी है चाहे धर्म के विस्तार के लिए अथवा आर्थिक विस्तार के लिए उनके लिए गाँधीवादी विचार काम में नहीं आ सकते 

हमें मानवतावादी मूल्यों के साथ जीना चाहिए, पर अगर बात देश में रहने वाले नागरिकों के जीवन अथवा भूभाग पर अतिक्रमण की हो तो उस घडी उसी भाषा में उत्तर देना आवश्यक है 

देश में गांधीवाद रहे कोई परेशानी नहीं पर आक्रांताओं को गांधीवाद से नहीं उन्हीं की भाषा में जवाब देना आज की आवश्यकता है 

हमें अपने सविंधान को पढ़ना और समझना चाहिए और
 जिस भूभाग के लिए इसे बनाया और लागु किया गया है उससे प्रेम तथा गर्व करना चाहिए 

  

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