मंगलवार, 12 फ़रवरी 2019
WAS NEHRU WRONG
क्या नेहरू गलत थे ?
अक्सर हैरान हो जाता हूँ ये सोच कर की एक बनी बनाई आर्थिक स्थिति पा लेने के बाद उसकी कमियों का बखान करना ऐसा हम तब कर सकते हैं क्यूंकि हमारा उस आर्थिक स्थिति को बनाने में कोई योगदान नहीं होता
आज सबको भारत की समाजवादी अर्थव्यवस्था के बारे कटाक्ष करते देख आश्चर्य होता है क्यूंकि बिना सत्य को जाने हम अपने पूर्वजों को गलत करार देते हैं फिर ताल ठोक कर कहते हैं की हम शिक्षित हैं
हम में आज भी प्रजा अथवा गुलाम होने का भाव समाप्त नहीं हुआ है
हम आज भी नागरिक नहीं बने है जो की देश की सत्ता को सही हाथों में दे सके ऐसी मानसिकता नहीं बन पाई है
आज जिस मजबूत आर्थिक आधार पर खड़े हो कर हम जिनको कोसते है उन्हें ये जान लेना चाहिए की देश जब आज़ाद हुआ था उस समय ब्रिटिश सम्राज्य दुसरे विश्वयुद्ध से बिखरी हुए अर्थव्यवस्था थी जिसके दुष्प्रभाव भारत का विभाजन था भारत की सरकार को कई सामाजिक व् आर्थिक समस्याओं के आलावा बड़े पैमाने पर रिफुजी कैम्पों,गरीबी, अनपढ़ता,स्वास्थ आदि समस्याओं का सामना करना पड़ा
इन्हीं समस्याओं को दिमाग में रख कर तत्कालीन प्रधानमन्त्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने समाजवादी अर्थव्यवस्था का चुनाव किया
जिसने देश के लिए आवश्यक आधारभूत ढांचे को खड़ा करने के लिए पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग को जन्म दिया जिसमें भारी पूँजी निवेश की आवश्यकता थी जैसे की यातायात , सड़क, खनन,स्टील,हैवी इलेक्टीरिक्ल जैसे आधारभूत उद्द्योगों की स्थापना थी और कोई भी प्राइवेट सेक्टर के लोग इस में पैसा लगाने के लिए तैयार नहीं थे कियुँकि पूँजी निवेश ज्यादा था और वापिसी की उम्मीद देरी से थी.
इन परिस्थितियों में तत्कालीन का कदम एक दम सही था
Today, we find many successful people criticizing the protectionist policies adopted by the political leaders for many decades since independence. But, they forget the notion that like any child needing hand holding during infancy, the new India full of poor, penniless people, most needed such hand holding till they could start walking
इस लिए किसी भी विचार को बनाने से पहले तथ्यों के आधार पर मंथन करना शिक्षित व्यक्ति का कार्य है
exploring mother nature in HP : Analyze and take the Decision
exploring mother nature in HP : Analyze and take the Decision: If Nationalist Then First Know, Analyze Then Decide We got Independence in 1947 before that we were, प्रजां for thousands o...
Analyze and take the Decision
If Nationalist Then First Know, Analyze Then Decide
We got Independence in 1947
before that we were,
प्रजां for thousands of years under king with no right,
then became
ग़ुलाम (Slave) for hundreds of years with no identity,
but first time we became
नागरिक (citizen) of a land mass in 1948 after in incarnation of
Constitution of India
with own Identity, Right, Duty and above all the owner of State.
Must Realize the fact that We the Citizen of India of all religion, Cast, Creed, are equal as per the Law of Land
The Constitution Of India.
If we are responsible citizen of India We must get out of this thought process of प्रजां and ग़ुलाम which is based on the biased approach of Cast And Creed.
Apply your brain and know your identity and power.
Because As a Citizen We have power to create such a government who enforce the Law of Land
INSTEAD OF CAST,CREED OR RELIGION
मंगलवार, 30 जनवरी 2018
रविवार, 24 दिसंबर 2017
जय राम जय राम
जय श्री राम
माननीय मुख्यमंत्री हिमाचल प्रदेश ,
आपको हार्दिक शुभकामनायें तथा मुबारक बाद। आपको आज इस पद पर देख कर अत्यंत प्रसन्नता हो रही है। मुझे आज भी वो दिन जेहन में है जब आप मंडी कॉलेज में छात्र राजनीती में थे और आपकी अपने कार्य के प्रति निष्ठां तथा समर्पण को मैंने महसूस किया है। आज जीवन के जिस पड़ाव में आपको ये जिम्मेदारी मिली है मैं जानता हूँ की इस ये समय आपके और प्रदेश दोनो के लिए महत्वपूर्ण है।
प्रदेश की जनता पिछले ७० वर्षों में 5 मुख्यमंत्रिओं के शाषन देख चुकी है और अब जिस तरह से देश ने करवट ली है हम सब केवल एक मात्र उम्मीद आपसे सब आप से रख रहें है जो की आपके स्वाभाव में है कि "आम जनता की आप तक पहुँच रहे और जनता के प्रति आप संवेदनशील रह कर अपने प्रशाशनिक ढांचे को मजबूती से चलाएं "
यद्यपि मैं समझ सकता हूँ कि चुनौतियां काफी हैं परन्तु हिमाचल की जनता ये चाहती है कि आप प्रदेशहित में कुछ ऐसा करें जो की दूरगामी परिणाम दे सकें ताकि प्रदेश की भावी पीढ़ी का भविष्य संवर सके।
प्रदेश की ७१ लाख की आबादी ये चाहती है की हिमाचल के करीब (निजी तथा सरकारी )17 इंजिनीरिंग कॉलेजों ,22 पॉलिटेक्निक कॉलेजों।, 89 सामान्य डिग्री कॉलेजों , 17 विष्वविद्यालयों ( तकनिकी तथा गैर तकनिकी ) , लगभग 90 नर्सिंग कॉलेजों आदि से जो हर छह माह के बाद जो युवा पढ़ कर निकल रहे है उनके लिए कुछ ऐसा करें कि लाखों रूपये खर्च करने के बाद वे रोज़गार के लिए न भटकें। क्यूंकि ये ही कल का हिमाचल है और आपकी दूरदर्शिता और दूरगामी परिणाम देने वाली नीतियां ही उज्जवल भविष्य का निर्माण कर सकती है.
"हिमाचल ही एक ऐसा राज्य है जहाँ राम राज्य अर्थात सबको समान रूप से बढ़ने के स्वप्न की सार्थकता को स्थापित कर सम्पूर्ण भारत को प्रेरित किया जा सकता है "
एक बार फिर आप को इस पद के लिए आपको हृदय से मुबारकबाद।
पंकज शर्मा
दाड़लाघाट
मंगलवार, 8 अगस्त 2017
Need Of Any Human Being ............
"मैं जिंदगी हूँ"
"आज आप मेरा रोना शायद नहीं सुन और कल शायद आप भी न रहें"
युद्ध डरपोक लोगों की सोच है
सच्चा योद्धा केवल शांति के लिए कार्य करता है।
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हे भगवन मैं अपने 1,40000 पूर्वजों को ये कहना चाह रहा हूँ की अगर हम नहीं समझे तो जल्दी ही हम सब स्वर्ग में मिलेंगे। आप अफ़सोस न करें की जीने को नहीं मिला क्यूंकि यहाँ लोग जीना जानते ही नहीं। |
"धन्यवाद पिताजी मुझे इस जगह लाने के लिए अन्यथा मैं
कभी नहीं जान पाती की हम मनुष्य केवल अपने दुश्मन हैं"
न जाने हम जिंदगी छोड़ कर मरने की रह पर क्यों चल रहें है
क्या चाहते हैं हम ?
पूरा विश्व आज एक ऐसी परिस्थिति में खड़ा किया जा चूका है की जहाँ किसी को जीने की इच्छा ही नहीं है
हर कोई अमेरिका,इंग्लॅण्ड,रूस ,फ्रांस , ऑस्ट्रेलिया ,जर्मनी ,भारत ,चीन ,पाकिस्तान, कोरिया, ईरान, आदि उन सभी देशों के राजनेताओं से मैं ये जानना चाहता हूँ की क्या दुनिया अभी भी ये नहीं समझ पाई की
दूसरे को डराने वाला वास्तव में खुद डरा हुआ होता है।
मैं आज से 72 वर्ष पहले जो इस पृथ्वी पर घटा शायद हम या तो भूल गए हैं या दोबारा कुछ ऐसा करना चाह रहें हैं की ये दुनिया ही ख़त्म हो जाये
जो नहीं जानते या जिन्होंने उसे झेला नहीं है तो मैं इन तस्वीरों के माध्यम से याद करवाना चाहता हूँ
की यदि न समझे तो
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जिंदगी हिरोशिमा 1945 परमाणु बम गिरने से पहले |
मौत
हिरोशिमा 1945 परमाणु बम गिरने के बाद
विचार करें क्या 1,40000 लोगों का क्या कसूर था?
क्या वो सब युद्ध चाहते थे ?
ये वो सिसकती जिंदगी है
जिसका भविष्य शायद मौत से भी बदतर है
जाने कितनी देर और तड़पना पड़े।
माँआखिर मेरा कसूर क्या है ??????
मुझे नहीं पता बेटा ला मैं तेरे बाल बना दूँ जाने कब अलग हो जाएँ ?????
आज कोई तो है
जो हमें याद कर रहा है
पर हम तुम्हें आशीर्वाद भी नहीं दे सकते
"जुग जुग जिओ"
क्यूंकि हम जानते हैं कि जल्दी ही तुम भी हमारी स्थिति में होगे।
अगर समझ सको तो इतना जान लो विनाश केवल नफरत और भय के कारण होता है
जीवन के लिए केवल
प्रेम, सहिष्णुता,समानता करुणा,और त्याग
जो कोई भी सर्वशक्तिमान होना चाहता है वर्चस्व स्थापित करना चाहता है
वास्तव में वो विनाश का जनक है
कृपया ध्यान दें और सभी विश्व शांति के लिए प्रयास करें
भारतवासी ये कर सकते हैं क्यूंकि भारत में ही दुनिया के हर धर्म और नस्ल के लोग रहते है और सहिष्णुता के साथ रहते हैं।
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