मंगलवार, 19 नवंबर 2019

चल मेरे साथ ही चल ........ अगर आप सोचते हैं की जीवन में मैं सुखी नहीं हूँ और कारण नहीं जान पा रहे तो एक बार अवश्य इस मार्ग को समझें अच्छा लगे तो साथ चलें



चल मेरे साथ ही चल 



ममैवांशो जीवलोके जीवभूतः सनातनाः ! 
मनः षष्ठानी ि न्द्राणी प्रकृतिस्थानि कर्षति !!    
गीता अध्याय १५   श्लोक ७ 

''भगवन कृष्ण कहते हैं की सभी मानव ईश्वर की संतान हैं''

अनित्यमसुखं लोकमिमं प्राप्य भजस्व माम् !!
गीता अध्याय ९ श्लोक ३३ 

'' भगवान कृष्ण कहते हैं की सुखरहित क्षणभंगुर किन्तु दुर्लभ मानव तन को पाकर मेरा भजन कर अर्थात भजन का अधिकार केवन मनुष्य शरीरधारी को है ''



५००० वर्ष पहले आने वाले समय के लिए कहे गए शब्दों में सम्पूर्ण ज्ञान है जो की सम्पूर्ण मानव जाती के लिए है 

इस जीवन का कोई तो अर्थ  होगा आखिर मैं मानव योनि में भी वो ही सब क्यों कर रहा हूँ जो अन्य निकृष्ट योनियों के जीव कर रहें है और आश्चर्य इस बात का है की ये सारी योनियां मनुष्य योनि के अधीन हैं

मानव जीवन के महत्व को समझें

भौतिक जीवन में की जाने वाली क्रियायें  ही आपके लिए आध्यात्मिक जीवन का मार्ग सुनिश्चित करेंगी जिससे आपके जीवन के सभी दुखों का अंत होगा    

अगर आपको भौतिक जीवन  का मार्ग, शाश्वत संतोष तथा  शांति चाहिए तो गीता का सहारा लें 

पहले जानें , समझें , और फिर क्रियान्वित करें 

याद रखें की एक दिन जाना है  पर साथ क्या जायेगा ये अवश्य सुनिश्चित करें 

बिना वैराग्य और विवेक के की गई कोई भी क्रिया का  मानव जीवन में कोई औचित्य नहीं है 
क्रिया की प्रतिक्रिया होती है जो फल के रूप में हमें प्राप्त होते हैं  अतः ये चक्र चलता रहता है और इसे ही हम कर्म मान  बैठते हैं 
वैराग्य का अर्थ समझें तभी आप विवेक को जान पाएंगे और उस से ही कर्म का मार्ग प्रशस्त होगा जो कभी क्षय नहीं होता और केवल आत्मतत्व अथवा परमात्मा से मिलन के लिए मार्ग प्रशस्त करता है   

जो कुछ इस लेख में प्रतिदिन मैं लिखूंगा वो हो सकता है आपके जीवन में परिवर्तन ला सके जिसके जीवन में परिवर्तन आ जाता है उसके लिए सृष्टि में भी परिवर्तन आ जाता है 

अगर आपको ये मेरा प्रयास अच्छा लगे तो कृपया इसे बांटें क्यूंकि प्रकृति का नियम है जिस भी वस्तु को बांटोगे वो उतना ही बढ़ेगी 

प्रेम बांटो प्रेम बढ़ेगा , घृणा बांटो घृणा बढ़ेगी ,



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