तार्रुफ़
बंदा एक लफ्ज नहीं एक तार्रुफ़ है
खुदा के बनाये सब बुतों के लिए।
ये बुत बनाया है उसने इस तार्रुफ़ के साथ
बंदगी के लिए।
बंदा फक्त लफ्ज रह गया है आज
खुदा के वास्ते कोई तो इसका इससे तार्रुफ़ करवाए
मकबूलियत की ख्वाहिश को छोड़ नामाकूल
बंदा बन और बंदगी कर
अपने तार्रुफ़ के लिए।
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